सर्वशक्तिमान की आहें

सर्वशक्तिमान परमेश्वर,परमेश्वर,परमेश्वर की इच्छा,प्रभु यीशु
सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया

परमेश्वर के वचनों का एक भजन

सर्वशक्तिमान की आहें

I

आह….आह सर्वशक्तिमान देखते हैं चारो ओर मानव को गहरे दुःख भोगते हुए, वो सुनते हैं मातम उनका जो पीड़ित हैं, देखते हैं बेहयाई उन पीड़ितों की, करते हैं महसूस डर और लाचारी, मानवजाति की जो वंचित है मोक्ष से। वो नकारते उनकी परवाह को, बढ़ते अपने रास्तों पर, बचते हैं उनकी खोजती निगाहों से। बजाय इसके वो चखते हैं कड़वापन सागर की गहराई का, दुश्मन के संग। बजाय इसके वो चखते हैं कड़वापन सागर की गहराई का, दुश्मन के संग।

आहें सर्वशक्तिमान की नहीं सुनी जा सकती किसी से भी। हाथ सर्वशक्तिमान के अब और नहीं छूना चाहते, हाथ अब और नहीं छूना चाहते इस पतित मानवजाति को। बार-बार, फिर से पाना और खोना। दोहराते हैं अपने काम को ऐसे। बार-बार, फिर से पाना और खोना। दोहराते हैं अपने काम को ऐसे। उसी पल से ही, वो थक और ऊब जाते हैं इन सब से, तब वो रोक देते हैं अपना काम, बंद करते हैं घूमना लोगों के बीच….. किसी ने ना कभी अनुभूति की इन सब की, किसी ने ना कभी महसूस किया बदलावों को। कोई जागरूक ना है मायूसी और पीड़ा, और आने और जाने के बारे में सर्वशक्तिमान के।

II

सब कुछ संसार में तेजी से बदल रहा, विचारों के साथ उनके, उन ही की नजरों के नीचे। जिन चीजों का मानव ने कभी ना सुना, सहसा प्रकट हो रही। लेकिन, जो है उसके पास हमेशा से, अनजाने में खो जा रहा। कोई ना समझ सकता सर्वशक्तिमान का पता, और कोई नहीं कर सकता महसूस ऊंचाईयों और महानता को सर्वशक्तिमान की जीवन शक्ति की। उनकी महानता इसी में है कि वो जो कर सकते हैं मानव नहीं कर सकते। उनकी महानता इसी में है वो ठुकराये जाने के बाद भी मानव से बचाते हैं मानव को, उनको पता है अर्थ जीवन और मौत का , मानवजीवन के नियमों का। वे आधार हैं उनके अस्तित्व का, उद्धारक भी हैं उनको फिर से जीवन देने के। वो खुश दिलों को करते हैं व्यथित और व्यथित दिलो को भरते है ख़ुशी से। ये सब है उनके काम और योजना के लिए। ये सब तो है उनके काम और योजना के लिए। वो खुश दिलों को करते हैं व्यथित और व्यथित दिलो को भरते है ख़ुशी से। ये सब है उनके काम और योजना के लिए। ये सब तो है उनके काम और योजना के लिये।

“वचन देह में प्रकट होता है” से

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