न्याय का प्रकाश

Hindi Christian Testimony

एनहुई, मलेशिया

परमेश्वर पूरी पृथ्वी पर निगाह रखता है, हर चीज़ पर नियंत्रण रखता है, और मनुष्य के सभी वचनों और कर्मों को देखता है। उसका प्रबंधन नपे-तुले चरणों में, उसकी योजना के अनुसार होता है। यह चुपचाप, नाटकीय प्रभाव के बिना आगे बढ़ता है, मगर उसके चरण मनुष्यों के निकट बढ़ते ही रहते हैं, और उसका न्याय का आसन बिजली की रफ्तार से ब्रह्माण्ड में तैनात होता है, और उसके तुरंत बाद हमारे बीच उसके सिंहासन का अवरोहण होता है। Continue reading “न्याय का प्रकाश”

प्रभु यीशु ने कहा था, “मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं” (यूहन्ना 10:27)। जब प्रभु लौटकर आएगा, तो वह अपनी बातों को कहेगा और अपनी भेड़ों की तलाश में जाएगा। प्रभु के लौटने की प्रतीक्षा करने में परमेश्वर की आवाज़ की तलाश करना महत्वपूर्ण है, लेकिन हम परमेश्वर की आवाज़ और इंसान की आवाज़ के बीच अंतर करने में असमर्थ हैं। कृपया हमारे साथ इस पर सहभागिता करें।

परमेश्वर की आवाज़ को कैसे पहचानें
 
संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

“यीशु ने उससे कहा, ‘मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता'” (यूहन्ना 14:6)।

“क्योंकि परमेश्‍वर का वचन जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है; और प्राण और आत्मा को, और गाँठ-गाँठ और गूदे-गूदे को अलग करके आर-पार छेदता है और मन की भावनाओं और विचारों को जाँचता है” (इब्रानियों 4:12)।

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन: Continue reading “प्रभु यीशु ने कहा था, “मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं” (यूहन्ना 10:27)। जब प्रभु लौटकर आएगा, तो वह अपनी बातों को कहेगा और अपनी भेड़ों की तलाश में जाएगा। प्रभु के लौटने की प्रतीक्षा करने में परमेश्वर की आवाज़ की तलाश करना महत्वपूर्ण है, लेकिन हम परमेश्वर की आवाज़ और इंसान की आवाज़ के बीच अंतर करने में असमर्थ हैं। कृपया हमारे साथ इस पर सहभागिता करें।”

तीसरे दिन परमेश्वर के वचनों ने पृथ्वी और समुद्रों की उत्पत्ति की, और परमेश्वर के अधिकार ने संसार को जीवन से लबालब भर दिया

परमेश्वर के वचनों का अधिकार और सामर्थ्य|परमेश्वर के शासन
आओ, हम उत्पत्ति 1:9–11 का पहला वाक्य पढ़ें : “फिर परमेश्‍वर ने कहा, ‘आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे।'” परमेश्वर बस इतना कहने के बाद कि, “आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे।” क्या परिवर्तन हुए? और उजाले और आकाश के अलावा इस जगह पर क्या था? पवित्र शास्त्र में लिखा है : “परमेश्‍वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा, तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उसने समुद्र कहा: और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्छा है।” दूसरे शब्दों में, अब इस जगह में भूमि और समुद्र थे, और भूमि और समुद्र विभाजित हो गए थे। Continue reading “तीसरे दिन परमेश्वर के वचनों ने पृथ्वी और समुद्रों की उत्पत्ति की, और परमेश्वर के अधिकार ने संसार को जीवन से लबालब भर दिया”

अपने पिता के साथ सुसमाचार साझा करना

अपने पिता के साथ सुसमाचार साझा करना|प्रभु के लौटने का स्वागत

बचपन में ही मैं विश्वासी बन गया था, मैंने अपना पूरा जीवन प्रभु की सेवा में लगाने की ठान ली थी। मैं शिक्षा के लिए तीन साल तक डिविनिटी स्कूल गया जहां मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार कर लिया। सुसमाचार को स्वीकार करने के बाद मैं प्रभु की वापसी का शुभ समाचार तुरंत अपने पिता को देना चाहता था। वे एक स्थानीय कलीसिया में उपयाजक थे, उन्हें बाइबल की अच्छी जानकारी थी, उन्होंने वर्षों तक प्रभु की सेवा की थी, और वे दूसरों के प्रति स्नेही थे। वे एक निष्ठावान ईसाई थे। मेरा ख़याल था कि प्रभु की वापसी की बात सुनते ही वे इसे तुरंत स्वीकार कर लेंगे। Continue reading “अपने पिता के साथ सुसमाचार साझा करना”

दूसरे दिन परमेश्वर के अधिकार ने जल का प्रबंध किया और आसमान बनाया तथा मनुष्य के जीवित रहने के लिए जगह बनाई

परमेश्वर सभी चीज़ों की सृष्टि करने के लिए वचनों को प्रयोग करता है

आओ, हम बाइबल के दूसरे अंश को पढ़ें : “फिर परमेश्‍वर ने कहा, ‘जल के बीच एक ऐसा अन्तर हो कि जल दो भाग हो जाए।’ तब परमेश्‍वर ने एक अन्तर बनाकर उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग किया; और वैसा ही हो गया” (उत्पत्ति 1:6-7)। कौन-से परिवर्तन हुए, जब परमेश्वर ने कहा “जल के बीच एक ऐसा अन्तर हो कि जल दो भाग हो जाए”? पवित्र शास्त्रमें कहा गया है : “तब परमेश्‍वर ने एक अन्तर बनाकर उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग किया।” जब परमेश्वर ने ऐसा कहा और किया, तो क्या परिणाम हुआ? इसका उत्तर अंश के आखिरी भाग में हैं : “और वैसा ही हो गया।” Continue reading “दूसरे दिन परमेश्वर के अधिकार ने जल का प्रबंध किया और आसमान बनाया तथा मनुष्य के जीवित रहने के लिए जगह बनाई”

जो लोग पीड़ा में है, दुखी है, परेशान है। हौसला रखो परमेश्वर पर निर्भर रहो और परमेश्वर हर बाधा से आपका मार्गदर्शन करेगा।

हौसला रखो  परमेश्वर पर निर्भर रहो और परमेश्वर हर बाधा से आपका मार्गदर्शन करेगाशायद आप असफलताओं और रूकावटो से निराश हैं।

शायद आप पढ़ाई या काम के दबाव में हैं।

या शायद आप जीवन में आने वाली कठिनाइयों के कारण दुखी महसूस कर रहे हैं।
……

लेकिन कुछ भी हो, हमें नकारात्मक नहीं बनना चाहिए, क्योंकि हमारे पास अभी भी परमेश्वर है। परमेश्वर के भरोसे रहकर हम सभी मुश्किलों से निकल सकते हैं। Continue reading “जो लोग पीड़ा में है, दुखी है, परेशान है। हौसला रखो परमेश्वर पर निर्भर रहो और परमेश्वर हर बाधा से आपका मार्गदर्शन करेगा।”

सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की उत्पत्ति और विकास

अनुग्रह के युग में, प्रभु यीशु ने अपने अनुयायियों से वादा किया, “और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूँ, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो” (यूहन्ना 14:3)। उन्होंने यह भविष्यवाणी भी की, “क्योंकि जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्‍चिम तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा” (मत्ती 24:27)। Continue reading “सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की उत्पत्ति और विकास”

क्या बाइबल प्रभु का प्रतिनिधित्व कर सकती है?

क्या बाइबल प्रभु का प्रतिनिधित्व कर सकती है?

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, “परमेश्वर स्वयं ही जीवन है, और सत्य है, और उसका जीवन और सत्य साथ-साथ विद्यमान हैं। वे लोग जो सत्य प्राप्त करने में असमर्थ हैं कभी भी जीवन प्राप्त नहीं करेंगे। मार्गदर्शन, समर्थन, और पोषण के बिना, तुम केवल अक्षर, सिद्धांत, और सबसे बढ़कर, मृत्यु ही प्राप्त करोगे। परमेश्वर का जीवन सतत विद्यमान है, और उसका सत्य और जीवन साथ-साथ विद्यमान हैं। Continue reading “क्या बाइबल प्रभु का प्रतिनिधित्व कर सकती है?”

गंभीर खतरे में होना

मेमने के पदचिह्नों पर चलना
जांगहुई, चीन

2005 में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार करने के कुछ ही दिनों बाद, मैंने अपनी पुरानी कलीसिया के एक भाई को सुसमाचार सुनाया। फिर एक दिन दोपहर को, पादरी ली और सहकर्मी वांग मेरे घर आये। मैं घबरा गया। मैंने सोचा, “वो यहाँ क्यों आये हैं? कहीं उन्हें मेरे सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकारने का पता तो नहीं चल गया? जब कलीसिया के अन्य सदस्यों ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकार किया था, तब ये लोग उनके बारे में अफवाहें फैलाने और धमकी देने लगे थे, उनके परिवारों को उनका विरोधी बना दिया था। Continue reading “गंभीर खतरे में होना”

परमेश्वर के नामों का रहस्य

परमेश्वर के नामों का रहस्य
“यद्यपि यहोवा, यीशु, और मसीहा सभी परमेश्वर के आत्मा का प्रतिनिधित्व करते हैं, किंतु ये नाम परमेश्वर की प्रबन्धन योजना में केवल विभिन्न युगों के द्योतक हैं, और उसकी सम्पूर्णता में उसका प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। ऐसे नाम जिनके द्वारा पृथ्वी के लोग परमेश्वर को पुकारते हैं, उसके सम्पूर्ण स्वभाव को और वह सब कुछ जो वह है उसे स्पष्ट रूप से व्यक्त नहीं कर सकते हैं। Continue reading “परमेश्वर के नामों का रहस्य”