परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक का उद्देश्य और अर्थ

परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक का उद्देश्य और अर्थ|सुसमाचार
(1) व्यवस्था के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और अर्थ

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन :

यहोवा ने जो कार्य इस्राएलियों पर किया, उसने मानव-जाति के बीच पृथ्वी पर परमेश्वर के मूल स्थान को स्थापित किया, जो कि ऐसा पवित्र स्थान भी था जहाँ वह उपस्थित रहता था। उसने अपने कार्य को इस्राएल के लोगों तक ही सीमित रखा। आरंभ में उसने इस्राएल के बाहर कार्य नहीं किया, बल्कि उसने अपने कार्यक्षेत्र को सीमित रखने के लिए ऐसे लोगों को चुना, जिन्हें उसने उचित पाया। इस्राएल वह जगह है, जहाँ परमेश्वर ने आदम और हव्वा की रचना की, और उस जगह की धूल से यहोवा ने मनुष्य को बनाया; यह स्थान पृथ्वी पर उसके कार्य का आधार बन गया। इस्राएली, जो नूह के वंशज थे और आदम के भी वंशज थे, पृथ्वी पर यहोवा के कार्य की मानवीय बुनियाद थे। Continue reading “परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक का उद्देश्य और अर्थ”

परमेश्वर के कार्य के तीन चरण किस तरह क्रमशः गहनतर होते जाते हैं ताकि लोगों को बचाया जा सके और उन्हें परिपूर्ण किया जा सके?

4. परमेश्वर के कार्य के तीन चरण किस तरह क्रमशः गहनतर होते जाते हैं ताकि लोगों को बचाया जा सके और उन्हें परिपूर्ण किया जा सके?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
परमेश्वर के सम्पूर्ण प्रबंधन को तीन चरणों में विभक्त किया गया है, और प्रत्येक चरण में, मनुष्य से यथोचित अपेक्षाएं की जाती हैं। इसके अतिरिक्त, जैसे जैसे युग बीतते एवं आगे बढ़ते जाते हैं, परमेश्वर की समस्त मानवजाति से अपेक्षाएं और अधिक ऊँची होती जाती हैं। इस प्रकार, कदम दर कदम, परमेश्वर का प्रबंधन अपने चरम पर पहुंच जाता है, जब तक मनुष्य “देह में वचन के प्रकट होने” को देख नहीं लेता, और इस तरह से मनुष्य से की गई अपेक्षाएं और अधिक ऊँची हो जाती हैं, और गवाही देने के लिए मनुष्य से अपेक्षाएं और भी अधिक ऊँची हो जाती हैं। … Continue reading “परमेश्वर के कार्य के तीन चरण किस तरह क्रमशः गहनतर होते जाते हैं ताकि लोगों को बचाया जा सके और उन्हें परिपूर्ण किया जा सके?”

परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बीच सभी का पारस्परिक संबंध।

परमेश्वर की गवाही देते बीस सत्य, मसीह के कथन, परमेश्वर को जानना, यीशु

परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बीच सभी का पारस्परिक संबंध।

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यहोवा के कार्य से ले कर यीशु के कार्य तक, और यीशु के कार्य से लेकर इस वर्तमान चरण तक, ये तीन चरण परमेश्वर के प्रबंधन की पूर्ण परिसीमा को आवृत करते हैं, और यह समस्त एक ही पवित्रात्मा का कार्य है। जब से उसने दुनिया बनाई, तब से परमेश्वर हमेशा मानव जाति का प्रबंधन करता आ रहा है। वही आरंभ और अंत है, वही प्रथम और अंतिम है, और वही एक है जो युग का आरंभ करता है और वही युग का अंत करता है। Continue reading “परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बीच सभी का पारस्परिक संबंध।”

परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।

परमेश्वर की गवाही देते बीस सत्य, मसीह के कथन, परमेश्वर को जानना, यीशु

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।

(1) व्यवस्था के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
वह कार्य जो यहोवा ने इस्राएलियों पर किया, उसने मानवजाति के बीच पृथ्वी पर परमेश्वर के मूल स्थान को स्थापित किया जो कि वह पवित्र स्थान भी था जहाँ वह उपस्थित रहता था। उसने अपने कार्य को इस्राएल के लोगों तक ही सीमित रखा। आरम्भ में, उसने इस्राएल के बाहर कार्य नहीं किया; उसके बजाए, उसने ऐसे लोगों को चुना जिन्हें उसने अपने कार्यक्षेत्र को सीमित रखने के लिए उचित पाया। इस्राएल वह जगह है जहाँ परमेश्वर ने आदम और हव्वा की रचना की, और उस जगह की धूल से यहोवा ने मनुष्य को बनाया; Continue reading “परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।”

मानव जाति के प्रबंधन से सम्बंधित परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के उद्देश्य को जानो।

परमेश्वर, परमेश्वर की गवाही देते बीस सत्य, परमेश्वर को जानना, यीशु

1. मानव जाति के प्रबंधन से सम्बंधित परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के उद्देश्य को जानो।

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
मेरी सम्पूर्ण प्रबन्धन योजना, ऐसी योजना जो छः हज़ार सालों तक फैली हुई है, तीन चरणों या तीन युगों को शामिल करती हैः आरंभ में व्यवस्था का युग; अनुग्रह का युग (जो छुटकारे का युग भी है); और अंत के दिनों में राज्य का युग। प्रत्येक युग की प्रकृति के अनुसार मेरा कार्य इन तीनों युगों में तत्वतः अलग-अलग है, परन्तु प्रत्येक चरण में यह मनुष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप है—या बल्कि, अधिक स्पष्ट कहें तो, यह उन छलकपटों के अनुसार किया जाता है जो शैतान उस युद्ध में काम में लाता है जो मैं उसके विरुद्ध शुरू करता हूँ। Continue reading “मानव जाति के प्रबंधन से सम्बंधित परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के उद्देश्य को जानो।”