सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन “सर्वशक्तिमान का आह भरना” (अंश II)

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सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन “सर्वशक्तिमान का आह भरना” (अंश II)

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, “वे जो बुरी तरह से दुख में हैं सर्वशक्तिमान उन पर करुणा दिखाता है। साथ ही, वह उन लोगों से ऊब चुका है जो होश में नहीं है, क्योंकि उसे उनसे प्रत्युत्तर पाने में लंबा इंतजार करना पड़ा है।
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सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन “संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के कथन: चौदहवाँ कथन”

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन “संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के कथन: चौदहवाँ कथन”

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं:

युगों-युगों से, किसी भी मनुष्य ने राज्य में प्रवेश नहीं किया है और इसलिए किसी ने भी राज्य के युग के अनुग्रह का आनंद नहीं लिया है, किसी ने भी राज्य के राजा को नहीं देखा है। यद्यपि मेरे आत्मा की रोशनी में बहुत-से लोगों ने राज्य की सुंदरता की भविष्यवाणी की है, किन्तु वे केवल उसके बाहरी रूप को जानते हैं, उसके भीतरी महत्व को नहीं। आज, जब राज्य पृथ्वी पर औपचारिक रूप में अस्तित्व में आता है, तो अधिकांश मानवजाति अभी भी नहीं जानती कि वास्तव में क्या संपन्न करना है या राज्य के युग के दौरान, किस क्षेत्र में अंततः लोगों को लाया जाना है। मुझे डर है कि इसके बारे में सभी भ्रम की अवस्था में हैं। Continue reading “सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन “संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के कथन: चौदहवाँ कथन””

अंतिम दिनों के मसीह के कथन “स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III परमेश्वर का अधिकार” (अंश)

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अंतिम दिनों के मसीह के कथन “स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III परमेश्वर का अधिकार” (अंश)

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: “मानवता एवं विश्व की नियति सृष्टिकर्ता की संप्रभुता के साथ घनिष्ठता से गुथी हुई हैं, और सृष्टिकर्ता के आयोजनों से अविभाज्य रूप से बंधी हुई हैं; अंत में, उन्हें सृष्टिकर्ता के अधिकार से धुनकर अलग नहीं किया जा सकता है। सभी चीज़ों के नियमों के माध्यम से मनुष्य सृष्टिकर्ता के आयोजनों एवं उसकी संप्रभुता को समझ पाता है; Continue reading “अंतिम दिनों के मसीह के कथन “स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III परमेश्वर का अधिकार” (अंश)”